मुस्कुराहटें …
favorite pass time..........
ख़्वाबों को टूटते देखना अच्छा लगता है …
इस आग में जलना अच्छा लगता है.
खुद हूँ विछोह की चादर लपेटे …
पर तेरे चेहरे पे मुस्कराहट देखना अच्छा लगता है.
अंतर्मन में उठती तरंगो को कर रखा है कैद मैंने …
फिर भी इस घुटन में अच्छा लगता है.
‘कशिश’ अजीब है ये दूर होने की …
पर तेरी ‘मधुरिम आँखें’ देख के अच्छा लगता है.
कितनी बातें थी बांटने को तुझसे …
पर तुझे ‘दूसरों’ से बातें करता देख अच्छा लगता है.
पाने की कोशिश में तुझे मैंने खो दिया खुद को ही …
की इस ‘खो’ जाने में भी अच्छा लगता है .
इस आग में जलना अच्छा लगता है.
खुद हूँ विछोह की चादर लपेटे …
पर तेरे चेहरे पे मुस्कराहट देखना अच्छा लगता है.
अंतर्मन में उठती तरंगो को कर रखा है कैद मैंने …
फिर भी इस घुटन में अच्छा लगता है.
‘कशिश’ अजीब है ये दूर होने की …
पर तेरी ‘मधुरिम आँखें’ देख के अच्छा लगता है.
कितनी बातें थी बांटने को तुझसे …
पर तुझे ‘दूसरों’ से बातें करता देख अच्छा लगता है.
पाने की कोशिश में तुझे मैंने खो दिया खुद को ही …
की इस ‘खो’ जाने में भी अच्छा लगता है .
जब थी आँख
खुली पहली दफा …
तो मैंने खुद
को इस दुनिया में पाया था ,
आते ही रोना
किया शुरू ,
फिर जाना
भगवान् को इस धरती पे मैंने पाया था,
रातों में
हलकी सी मेरी आवाज पे …
“उसको” अपने सिरहाने पाया था .
करता था गीली
चादर मै ,
खुद गीले में
सो मैंने “उसे” सूखे पे सुलाता पाया था .
फिर जब थोडा
सा बड़ा हुआ मै और …
“उसे” किताबों से भिड़ा देख मुझे पड़ाते पाया था .
फर्स्ट आने पे
होता था खुश मै ,
पर मैंने “उसे” अपने से
ज्यादा खुश होते पाया था .
लिखने को
अंतहीन है ,
पर कौन “उसके” प्यार को
शब्दों में समेट पाया था.
है ये वही
जिसे …
पहली बार मैंने आँख खोल खुद को “मां” कहता पाया था
!
देखे हैं कई दौर मैंने …
ये दौर भी निकल जायेगा .
झेले है यूँ तो कई जख्म मैंने …
ये जख्म भी भर जायेगा .
रास्ता ताकती ही रहीं सूनी सी आँखें मेरी …
आना था जिसको अब वो नहीं आएगा .
होने को हो जाएगी ये “मुहब्बत” भी फिर से …
पर क्या करूं “कमबख्त”, ये पहले सा अहसास अब ना आएगा.
ये दौर भी निकल जायेगा .
झेले है यूँ तो कई जख्म मैंने …
ये जख्म भी भर जायेगा .
रास्ता ताकती ही रहीं सूनी सी आँखें मेरी …
आना था जिसको अब वो नहीं आएगा .
होने को हो जाएगी ये “मुहब्बत” भी फिर से …
पर क्या करूं “कमबख्त”, ये पहले सा अहसास अब ना आएगा.
ये समंदर भी कितना पास है …
फिर भी दो बूँद की प्यास है .
आसमां मिल जाए इस जमीं से …
आज भी इस बात की आस है.
नहीं पड़ता है फर्क तुझे …
पर इसी बात से तो तू ख़ास है.
मत कर बात और ना देख मुझे …
पर रहेगी तू हरपल मेरे पास है.
मुस्कुराता तो मै अब भी हूँ …
बस लोग कहते मुझे जिन्दा लाश हैं.
झनझनाती तेरी मुस्कराहट आज भी है …
जो हर मजबूर की ख़ुशी में तेरा वास है.
मुसीबतों से भागता हूँ नहीं मै अब …
क्यूंकि तेरी यादों का साथ मेरे पास है.
गर जान लिया होता मैंने जो पहले तुमको
तो ना कहता जिन्दगी भर बस ये “काश” है.
फिर भी दो बूँद की प्यास है .
आसमां मिल जाए इस जमीं से …
आज भी इस बात की आस है.
नहीं पड़ता है फर्क तुझे …
पर इसी बात से तो तू ख़ास है.
मत कर बात और ना देख मुझे …
पर रहेगी तू हरपल मेरे पास है.
मुस्कुराता तो मै अब भी हूँ …
बस लोग कहते मुझे जिन्दा लाश हैं.
झनझनाती तेरी मुस्कराहट आज भी है …
जो हर मजबूर की ख़ुशी में तेरा वास है.
मुसीबतों से भागता हूँ नहीं मै अब …
क्यूंकि तेरी यादों का साथ मेरे पास है.
गर जान लिया होता मैंने जो पहले तुमको
तो ना कहता जिन्दगी भर बस ये “काश” है.
हर अल्फाज की वजह बस तू है …
इस दिल की धड़कन की सुर ताल भी तू है .
हर पल तुझे पाने के ख्वाब में खोया हूँ …
क्यूंकि मेरे वजूद की वजह तू है.
तुझसे अलग कैसे जियूं मै ,
क्यूंकि दिल के कोने में कहीं बैठा शख्स भी तू है .
इस दिल की धड़कन की सुर ताल भी तू है .
हर पल तुझे पाने के ख्वाब में खोया हूँ …
क्यूंकि मेरे वजूद की वजह तू है.
तुझसे अलग कैसे जियूं मै ,
क्यूंकि दिल के कोने में कहीं बैठा शख्स भी तू है .
सिहरन की इस
सर्दी में …
तेरी यादें एक
गर्माहट का अहसास दे जाती है .
मुश्किलें
क्योँ ना कितनी ही हो …
तेरी
मुस्कराहट उनसे लड़ने को हौसला दे जाती है .
जब जीना लगने लगे मुश्किल …
तेरी आँखें 1 नयी जिन्दगी
दे जाती है .
प्यार ना कह
इसे बदनाम करो
…
ये तो मुझे ”कैसे जियें” सिखलाती नज़र आती है
…
गर मेरी एक झूठी तारीफ ला दे तेरे चेहरे पे
मुस्कराहट …
तो खुदा कसम सारी जिन्दगी इन्ही झूठों के बीच गुजार दूं .
कम लगे अगर तुझको ये भी …
तो सारे likes, super likes, awesome तेरे facebook profile पे सजा दूं.
तो खुदा कसम सारी जिन्दगी इन्ही झूठों के बीच गुजार दूं .
कम लगे अगर तुझको ये भी …
तो सारे likes, super likes, awesome तेरे facebook profile पे सजा दूं.
जमाने भर की खुशियाँ देनी चाही तुझे …
पर कब तू दिल तोड़ गया, मालूम ना चला.
आज ये दिल जल रहा है तेरी हर मुस्कराहट की याद में ,
दुनिया पड़ रही है इसे और जालिम तुझे पता भी ना चला.
पर कब तू दिल तोड़ गया, मालूम ना चला.
आज ये दिल जल रहा है तेरी हर मुस्कराहट की याद में ,
दुनिया पड़ रही है इसे और जालिम तुझे पता भी ना चला.
दिन भर करता
हूँ बातें तुमसे,चेहरे पर हंसी रहती है
पर यकीं मान,इक ख़ामोशी मेरे दिल में भी पलती है
पर यकीं मान,इक ख़ामोशी मेरे दिल में भी पलती है
यूँ तो है हर
पल तू मेरे साथ …
पर इस दिल में आके कभी, इक तन्हाई भी मिलती है
पर इस दिल में आके कभी, इक तन्हाई भी मिलती है
तू गर समझे है कि तुझे है दुःख मुझसे ना मिल
पाने का कभी
कभी आके देख दिल में मेरे, जुदाई की आग यहाँ भी जलती है !!!
कभी आके देख दिल में मेरे, जुदाई की आग यहाँ भी जलती है !!!
चाहूँ
मै
तुझे कितना , ये मै बता नहीं सकता ,
मै तेरे लिए क्या हूँ , ये मै जान नहीं सकता .
क्यों सी कर बैठी है होठों को तू ,
मेरा इन्तेजार मत कर , मै इतनी हिम्मत जुटा नहीं सकता ,
लोग चाहे कुछ भी कहे ,
पर तुने मुझे ऐसे ही अपनाया ,
जीत लिया दिल तूने , इस बात को मै झुठला नहीं सकता ,
तू जो ना कहे , वो तेरी आँखे कह जाये ,
पर हूँ मै बदकिस्मत इतना कि वो मै सुन नहीं सकता ,
तेरे लिए कर जाऊं मै कुछ भी ,
बस जान नहीं माँगना , ये मै दे नहीं सकता ,
जीना है जब तेरे ही साथ , तो कैसे दूँ ये जान तुझे ,
सब कुछ तो है तेरा , पर मै कुछ मांग नहीं सकता .
मिल सकता नहीं तुझसे , तो कविता ही लिख देता हूँ ,
पर अब और नहीं , इतना इन्तेजार मै कर नहीं सकता ,
गर जो मिली होती पहले मुझे , मै आज कहाँ होता ,
दूर हो कर भी , दूरियों का अहसास मै कर नहीं सकता .
कुछ तो ख़ास है तुझमे ऐसा , कि ये lines खुद बा खुद बन जाती है ,
बेवजह बेसबब मेरे दिलो दिमाग पर छा जाती है .
मत कर तू और पागल मुझे , मुझे ऐसे ही जीने दे ,
क्योकि तू ना मिली अगर मुझको , तो फिर मै जी नहीं सकता .
मै तेरे लिए क्या हूँ , ये मै जान नहीं सकता .
क्यों सी कर बैठी है होठों को तू ,
मेरा इन्तेजार मत कर , मै इतनी हिम्मत जुटा नहीं सकता ,
लोग चाहे कुछ भी कहे ,
पर तुने मुझे ऐसे ही अपनाया ,
जीत लिया दिल तूने , इस बात को मै झुठला नहीं सकता ,
तू जो ना कहे , वो तेरी आँखे कह जाये ,
पर हूँ मै बदकिस्मत इतना कि वो मै सुन नहीं सकता ,
तेरे लिए कर जाऊं मै कुछ भी ,
बस जान नहीं माँगना , ये मै दे नहीं सकता ,
जीना है जब तेरे ही साथ , तो कैसे दूँ ये जान तुझे ,
सब कुछ तो है तेरा , पर मै कुछ मांग नहीं सकता .
मिल सकता नहीं तुझसे , तो कविता ही लिख देता हूँ ,
पर अब और नहीं , इतना इन्तेजार मै कर नहीं सकता ,
गर जो मिली होती पहले मुझे , मै आज कहाँ होता ,
दूर हो कर भी , दूरियों का अहसास मै कर नहीं सकता .
कुछ तो ख़ास है तुझमे ऐसा , कि ये lines खुद बा खुद बन जाती है ,
बेवजह बेसबब मेरे दिलो दिमाग पर छा जाती है .
मत कर तू और पागल मुझे , मुझे ऐसे ही जीने दे ,
क्योकि तू ना मिली अगर मुझको , तो फिर मै जी नहीं सकता .
जब भी होता हूँ तनहा , अतीत में लौट
जाने को मन करता है ,
1 बार फिर बचपन में जाने को दिल करता है .
साँसों कि तपिश जब छूती है इस दिल को, तो खुद को आंसुओं में भिगोने का मन करता है …
1 बार फिर बचपन में जाने को दिल करता है .
1 बार फिर बचपन में जाने को दिल करता है .
साँसों कि तपिश जब छूती है इस दिल को, तो खुद को आंसुओं में भिगोने का मन करता है …
1 बार फिर बचपन में जाने को दिल करता है .
तू ही था जिस
पर मै हंसा था कभी …
तू ही था
जिसका दिल दुखाता था मैं कभी …
फिर बदला समय का पहिया ,
अब बारी तेरी है …
हँसाता भी अब तू ही है मुझे कभी …
रुलाता भी अब तू ही है मुझे अभी !!!
फिर बदला समय का पहिया ,
अब बारी तेरी है …
हँसाता भी अब तू ही है मुझे कभी …
रुलाता भी अब तू ही है मुझे अभी !!!
आज भी याद आती
है क्यों वो ,
भुलाने पर भी भूल पाती नहीं वो ,
हँसता तो हूँ मै इस दुनिया को दिखाने के लिए,
पर हर हंसी के पीछे का दर्द जानती नहीं वो !
जिन्दगी क्यूँ यूँ दो राहे पे लाके खड़ा कर देती है ,
जब मंजिल ही कदम बढाने से रोक लेती है .
देना ही था गर हौसला मंजिल पाने का ,
तो क्यूँ तू अब मझदार में छोड़ देती है ???
माना कि हममे नहीं वो जज्बा ,
कि चाँद छू पाएं ,
पर ऐसा भी क्या खफा होना ,
कि आप चाँद देखने पे भी बंदिशें लगा देती है !!!
भुलाने पर भी भूल पाती नहीं वो ,
हँसता तो हूँ मै इस दुनिया को दिखाने के लिए,
पर हर हंसी के पीछे का दर्द जानती नहीं वो !
जिन्दगी क्यूँ यूँ दो राहे पे लाके खड़ा कर देती है ,
जब मंजिल ही कदम बढाने से रोक लेती है .
देना ही था गर हौसला मंजिल पाने का ,
तो क्यूँ तू अब मझदार में छोड़ देती है ???
माना कि हममे नहीं वो जज्बा ,
कि चाँद छू पाएं ,
पर ऐसा भी क्या खफा होना ,
कि आप चाँद देखने पे भी बंदिशें लगा देती है !!!
नफरत तो हो गयी मुझे खुद से …
जब मैंने जाना मेरी मोहब्बत की कदर क्या है …
आज भी कोसता हूँ उस लम्हे को …
जब सोचा था की दोस्ती करने में हर्ज़ ही क्या है !!!
जब मैंने जाना मेरी मोहब्बत की कदर क्या है …
आज भी कोसता हूँ उस लम्हे को …
जब सोचा था की दोस्ती करने में हर्ज़ ही क्या है !!!
मेरे
हर
अल्फाज की वजह भी वही थी …
जब निकला था आंसू पहली बार इन आँखों से …
तब भी वजह तू ही थी .
छोड़ दी थी दुनिया मैंने पाने को तुझे …
पर फिर क्यों ऐसा हुआ की …
…इस बार भी सिसकने की आवाज मेरी ही थी !!!
जब निकला था आंसू पहली बार इन आँखों से …
तब भी वजह तू ही थी .
छोड़ दी थी दुनिया मैंने पाने को तुझे …
पर फिर क्यों ऐसा हुआ की …
…इस बार भी सिसकने की आवाज मेरी ही थी !!!
रिवाजें निभाने का वक़्त आ गया है…
तुम्हे भूल जाने का वक्त आ गया है.
तुम्हे भूल जाने का वक्त आ गया है.
तेरी बदली नजरों से आहत है ये दिल…
कि फ़िर मुस्कुराने का वक्त आ गया है.
शहर भर में फैलीं है अपनी कहानी..
अब नजरें चुराने का वक्त आ गया है…
तेरा जाना तय था,सो ये ही हुआ
भी…
कि एक और जख्म खाने का वक्त आ गया है .